मंगलवार, 18 नवंबर 2008

दोस्तों, किसी ने सच ही कहा है, किसी भी काम की शुरुआत बहुत ही मुश्किल होती है, यह बात हमें इस ब्लॉग को शुरू करने के बाद पता चल रही है. ब्लॉग पर अपनी पहली पोस्ट डालने में इसी लिए विलंब हुआ. सोचता रहा की मैंने इस ब्लॉग में जो कुछ भी लिखने का मन बनाया है उसे कोई क्यो पढे . लेकिन फिर भी कहीं से शुरू करना था , इस लिए शुरू करता हू.
खाबो भरी उम् थी, सारे ज़माने को अपनी मुट्ठी में बाँध लेने की उम्र. रात होती तो सपने फूल की तरह झरते . हर सुबह एक नए सपने को रंग देने ki उमंग. किताबो में शब्द नाचते से लगते. शायद वहीं से शुरू हुआ शब्दों से खेलने का सिलसिला जो jaari है, लेकिन इस सिलसिले में तमाम बाधाएं भी है. ......और इन्ही बाधाओंने जिंदिगी को एक रंगत दी है....आप को याद हैं वो पंक्तियाँ ......मैं हूँ इक खुशरंग हिना.

6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है। कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, हिन्दी ब्लॉग में अभी इसकी जरूरत नहीं है… शुभकामनायें…

अभिषेक मिश्र ने कहा…

हिना की तरह आपका ब्लॉग भी रंग बिखेरे. स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी

Amit K Sagar ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
---
आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
---
अमित के. सागर

संगीता पुरी ने कहा…

इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका हिन्‍दी चिटठा जगत में स्‍वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को मजबूत बनाएंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

wah jee wah. narayan narayan

shama ने कहा…

Shubhkamnayon sahit swagat hai...aapki mehnat rang layegee zaroor!
Mre blogpe sehil aur saharsh swagat aur nimantran hai !